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परिवार

परिवार

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छुट्टियों का बेसब्री से इंतज़ार रहता है

घर जाने को दिल हमेशा बेकरार रहता है

बचपन तो लौट नहीं सकता

पर परिवार का प्यार हमेशा साथ रहता है


गलती करने पर पापा की डाट हो

मां के हाथ का आलू पूरी चाट हो

वो संक्रांति में पतंगबाजी हो

चोट लग जाने पर, गुजिया से दिल राज़ी हो


वो साथ बैठ कर खाना हो

या हर साल कोई वैकेशन पर जाना हो

हां, अनबन भी हो जाती है कभी कभी

मनाने का अलग ही मज़ा है,

जब अपनों से रूठ जाना हो।


वो रात भर रिश्तेदारों की बात पर हंसना

छोटे भाई को बेवजह रुलाना..

त्यौहार की पूजा में लड्डू पर नज़रे हो

या पहली कमाई से दी हुई शर्ट पर, 

पापा की आंखे नम हो जाना


परिवार के साथ बिताया

हर लम्हा खास होता है

उनकी यादों को दिल में रखता हूं

तो हमेशा उनके पास होने का एहसास होता है।


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