पसंदीदा भोजन
पसंदीदा भोजन
मेरी पसंदीदा भोजन है
'साबूदाने की खिचड़ी'।
ये मुझे हर वक़्त भाती है
कहीं भी जाऊ, कहीं भी रहूं
इसकी खुशबू मंत्रमुग्ध कर जाती है।
बात कुछ साल पुरानी है
जो आपको बतानी है,
द्वारका से लौटते वक़्त देर रात हो गई,
भूख के मारे मेरी हालत खराब हो गई,
लंबा थकाने वाला सफर था,
रात गए ट्रेन में कुछ भी
मिलना असम्भव था।
यहां वहां टहलते हुए
एक परिवार दिखा,
जो अपनी सीट पर बैठ
कर भोजन खा रहा था,
मैंने वहीं देखा साबूदाने की खिचड़ी,
मेरा मन ललचा रहा था,
मेरी हालत देख मोहतरमा सब कुछ भांप गईं,
एक कटोरी लेके अपने पति के पास गईं,
फिर थोड़ी खिचड़ी मेरी ओर बढ़ा कर बोली,
थोड़ा सा खा लीजिए,
यूँ नजर लगाना ठीक नहीं है।
वो बात सुन कर सब खिलखिला उठे,
खिचड़ी का स्वाद लाजवाब था,
जो भुलाए भूलता नहीं है।
यही वो यादें है
जो हर सफर में याद रहती हैं
मुंह का स्वाद भी मिटता नहीं है।