औरत
औरत
कमजोरियों से लबरेज़ अब ना और निशानी चाहिए ,
नाम औरतों के मुझे इक खुशनुमा कहानी चाहिए!
न सलवार-कमीज है पुरानी, न स्कर्ट में कुछ खराबी..
बातें ये कुछ काम की नजरों को समझानी चाहिए..!
खामोशी की कब्र में कितने जुर्म दफ्न हो गए..
क्योंकि हर माँ कहती है ऐसी बातें छुपानी चाहिए..!
बेहद नाजुक है, ज़रा सी चोट में बिखर जाएगी
यूँ बात-बात में लड़कियों को चूड़ी नहीं पहनानी चाहिए..!
कोशिश इतनी सी करना उनकी इज्जत की खातिर
फिर से गालियों में तुम्हारी माँ-बहन नही आनी चाहिए..!
महफूज़ है इस दुनिया से बेहद,वो जहाँ शतरंज का,
जहाँ राजा को भी अपनी हिफाजत में रानी चाहिए..!
रहे हमेशा क्यों मयस्सर,भाई-बाप बन मुहाफिज़,
ताबेदारी छोड़ तलवार हमें खुद भी उठानी चाहिए..!
खुलकर अपने मसलों पर जो एक बार चर्चा कर ले मौसम"
लोग कहते हैं कि ऐसी लड़कियों को शर्म आनी चाहिए..!