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Priya Goyal

Drama

4  

Priya Goyal

Drama

तर्पण

तर्पण

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फिर एक पहल रिश्तों के सम्मान की

फिर एक पहल दादा - दादी के नाम की

थम से गए हैं वो पल,

जो बिताए थे दादा - दादी के संग


वो दादू का चुपके से एनक़ छुपाना 

औेर दादी का छड़ी से मारना

अब वो सब बहुत याद आता है

आंखों में अक्ष्रु की धार लाता है


दादू का वो कहना मन में आत्मविश्वास जगाता है

चाहे आ जाए लाखों मुश्किल तुम पर

मत होना निराश तुम

डट कर करना तुम सामना

हार कभी मत मानना


हो जाएगी हर मुश्किल हल

मेहनत कर आसमाँ छू जाओगे जब।

याद आता है अब वो सब

चलो आओ करे फिर एक पहल रिश्तों के सम्मान की

पहल करे दादा - दादी के नाम की।


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