समस्याएं
समस्याएं
समस्याएं बहुत सारी,
उपजाई हुई है हमारी।
पूरी तो कर सकते हम,
अपनी आवश्यकताएं।
पर पूरी न कर सकेंगे,
अपने मन की तृष्णाएं।
आती हैं एक के पीछे,
इच्छाएं बहुत सारी।
समस्याएं बहुत सारी,
उपजाई हुई है हमारी।
पूरी कर लें जरूरतें,
अपनी और अपनों की।
चिंता कर लें अपने साथ,
दूसरों के भी सपनों की।
अपनों की जरूरतों को,
समझें जरूरत है हमारी।
समस्याएं बहुत सारी,
उपजाई हुई है हमारी।
यह सकल जगत ही तो,
है एक ही कुटुम्ब अपना।
हर जन परिजन हमारा,
उसका हर सपना है अपना।
सर्वे भवन्तु सुखिन: की सदा,
हो नि:स्वार्थ भावना हमारी।
समस्याएं बहुत सारी,
उपजाई हुई है हमारी।