पत्नी नहीं किसी पर अब आश्रित रखती हैं। पत्नी नहीं किसी पर अब आश्रित रखती हैं।
प्रभु का ध्यान करता, कंद-मूल खा, व्रत उपवास रखने का प्रण किया ।। प्रभु का ध्यान करता, कंद-मूल खा, व्रत उपवास रखने का प्रण किया ।।
सत्य के साथ स्वयं का सम्मान करूंगी सत्य के साथ स्वयं का सम्मान करूंगी
सुख पाता एक जन जिस साधन से, हो सकता है दूजे को न दे पाए शांति। सुख पाता एक जन जिस साधन से, हो सकता है दूजे को न दे पाए शांति।