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Sheetal Jain

Abstract

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Sheetal Jain

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दोस्ती

दोस्ती

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समय जो हाथ से फिसलता जा रहा है,

यह न समझो कि व्यर्थ जा रहा है,

 शब्दों का रूप ले, पृष्ठ पर उतरता जा रहा है 

 बहुत अनकही वो बातें कहता जा रहा है।


 मेरे दिल का भार, अपने ऊपर ले 

 हर शब्द दोस्ती निभा रहा है,

कैसे कह दूँ मैं, दुनिया में अकेला हूँ 

 हर पल मेरी रचना में, जब वह


जीवंत किरदार अदा कर रहा है।

 गर्वोन्मत हूँ ऐसी दोस्ती पर

 बिना किसी अपेक्षा के,चुपचाप 


मेरी कलम का साथ दे

 ज़िन्दगी जीना सिखा रहा है 

सुख दुख का एकमात्र साथी बन

 उद्देश्य से परिचय करा रहा है।।


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