ख्याल तेरा ,ख्वाब तेरा
ख्याल तेरा ,ख्वाब तेरा
तेरे ही ख्यालों में,
तेरे ही ख्वाबों में,
हम डूब गए अब प्रीत की दरिया में।
मुसाफ़िर सी जिंद़गी हो गयी है मेरी,
पागलों की तरह पल - पल बित रहा,
बिताये गये तेरे साथ,
जुड़ी तुझसे याद हमें रह -रह कर कचोट रहा।
न कोई कहीं ठिकाना है,
न कोई मंजिल बची है।
सिवा तुझे पाने की।
भूलने की कोशिश बहुत की मैंने तुझे,
मगर पागल !
दिल है कि मानता नहीं, साथ तेरे बिन रहे मानता नहीं।
मेरी कल्पना की आधार बन गई तुम।
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मेरी लेखनी का धार भी तु। सुबह तुझसे ही शुरू होती,
गोधूलि की राधा बन गई हो तुम।
बेपरवाह सी हो गई जिन्दगी हमारी,
तुझको पाने की तड़प में मैं खुद को ही खो दिया।
अकेला बचा गया मैं,
तेरे बिना न कोई मेरा वजूद है! सबकुछ तुम ही तुम,
सब में तुम ही तुम ।सबजगह तु ही तु है।
गर बंदिशें ज्यादा है इस जन्म में तो कोई बात नहीं,
गुजार लूंगा एक जन्म हंसते हुए अकेलेपन में जिदंगी।
लेकिन आने वाले हर जन्म में
किस्मत से भी चुरा लूंगा तुझे,
बनाऊंगा तुझे अपना।
पाऊंगा में पल- पल तुझे दिल के पास ।
मैं भी बन जाऊंगा तुम ही तुम।।