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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance

साथ चलें हम

साथ चलें हम

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मैं अगर थक जाऊं सफर में, हौंसला बढ़ाना तुम 

अपने आंचल की हवा से, होश में ले आना तुम 

जिंदगी की कठिन राहों पे, चलना होगा अनवरत 

जब कभी गिरने लगूं, तो बढ कर हाथ थामना तुम 

नाकामियों की अंधेरी, सुरंगों से भी गुजरना होगा

अपनी आंखों के दिये, हरदम जला के रखना तुम 

मौसम की तरह बदलते हैं लोग इस फरेबी जहां में 

वफाओं का निर्झर सा, झरना हरदम बहाना तुम 

चलना है दोनों को फलक तक, संग संग हमदम मेरे 

आये चाहे लाख तूफां, साथ कभी ना छोड़ना तुम।



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