बरसती चांदनी में कोई आरज़ू जल रही है
बरसती चांदनी में कोई आरज़ू जल रही है
बरसती चांदनी में कोई आरज़ू जल रही है
अपनी ख़बर आजकल मुझे लोगों से मिल रही है।
उसके होठों में तो बस इक मुस्कान पुरानी थी
जाने क्या सोचकर मेरी तबीयत मचल रही है
उसको कहो मेरा दिल कुछ और बेदर्दी से तोड़े वो
इस तरह कहाँ ज़िस्म से मेरे जां निकल रही है
मेरी मोहब्बत का सोचती हूं मैं अंजाम क्या हो
गाना अरमान चढ़ रहे हैं ना ही उम्मीद ढल रही है
मेरी रुस्वाई में नहीं अब दुनिया को दिलचस्पी बची
नीरस खबर सी है ये अब जो रोज़ निकल रही है
जो पूछा मैंने दर्द देती हुई मोहब्बत से प्यार क्यों
दिल बोला उधर देख कली काँटों पर खिल रही है।