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Sandeep Gupta

Romance

4  

Sandeep Gupta

Romance

एक बोरिंग कपल

एक बोरिंग कपल

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ना गलबहियाँ डाली,

ना चुम्बन जड़े,

मैं और तुम,

बस खड़े खड़े,

ना जाने क्या ढूँढ रहे थे,

लहरों में,

गोवा के तट पर ।


जब बाक़ी युग्म,

डूबे हुए थे एक दूसरे में,

आलिंगनबद्ध,

लहरों के अस्तित्व से बेख़बर,

गिन रहे थे सांसें एक दूसरे की,

मैं और तुम,

खोए थे, गिनने में,

बनती, बिखरती लहरों कों,

मानो अगले दिन,

परीक्षा में पूछा जाना हो प्रश्न,

कि 'कितनी लहरें थी समन्दर मे'।


मैं और तुम,

गोवा के तट,

शायद,

लहरों में, ढूँढ रहे थे,

ख़ुद का अस्तित्व ।


कहते हैं कि,

एक बला की ख़ूबसूरत जादूगरनी रहती है यहाँ,

जो ढलते सूरज की लाल-नारंगी रोशनी को,

बस छूकर ही, 

बदल देती है रंगीन रातों में,

और उगते सूरज को, 

बाहों में भर,

भर देती है मदहोशी, 

पूरे गोवा में,

उसके जादू से,

बच नहीं पाया है कोई आज तक,

जो आता है एक बार,

बार बार खींच लाता है उसे,

इस जादूगरनी का जादू,

गोवा के तट पर।



कहते हैं कि,

प्यार को परवान चढ़ाने,

खोया प्यार पाने,

और रूठे यार को मनाने,

गोवा से अच्छी जगह कोई और नहीं,

दो दिन के लिए आए थे हम गोवा,

और रुक गए ५ दिन,

जादूगरनी का जादू चल गया है शायद,

तुम पर भी और मुझ पर भी,

क्या मिल गया जिसे पाना चाहते थे हम?

क्या मना लिया उसे जो रूठे बैठा है?


गोवा के तट पर,

ना गलबहियाँ डाली,

ना चुम्बन जड़े,

मैं और तुम,

बस लहरें गिनते रहे ५ दिन,

वाकई !

कितने बोरिंग कपल हैं हम ।



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