Sandeep Gupta

Inspirational

4.8  

Sandeep Gupta

Inspirational

जब हौसले हो बुलंद

जब हौसले हो बुलंद

1 min
288


जब हौसले हो बुलंद,

सागर देता है रास्ता,

पहाड़ करते हैं अभिवादन, 

कुछ दूर नहीं,

कुछ ऊँचा नहीं,

कुछ अभेद नहीं।


जब हौसले हों बुलंद,

मंज़िले ख़ुद-ब-ख़ुद

चली आती हैं निकट।


जब हौसले हों बुलंद,

बाढ़ में नहीं बहती आशाएँ,

ना तूफ़ानों में

बिखरती हैं उम्मीदें,

डगमग कश्ती में भी

पूरा होता है सफ़र।


जब हौसले हों बुलंद,

छांव पेड़ की भी

लगती है शीतल,

कड़ी धूप में भी

आगे बढ़ते हैं क़दम।


जब हौसले हो बुलंद,

निडर, निरपेक्ष,

देश चुनता है जननायक। 

जात-पाँत, राजा-रंक,

काला-गोरा, आदमी-औरत,

नहीं रखते मायने।


सामान्य जन बनते है नायक,

नायक बनते हैं महानायक, 

जब हौसले हों बुलंद,

देश बनता है विश्वनायक।

  

जब हौसले हों बुलंद,

लोग चलने के लिए नहीं बढ़ते आगे, 

लोग चलते हैं आगे बढ़ने के लिए।


मज़बूत तंत्र से लोगों के,

बनता है लोकतंत्र महान।

जब हौसले हो बुलंद,

बनता है विश्व प्रणेता कोई देश। 


Rate this content
Log in