लड़की जो हूँ
लड़की जो हूँ


प्रश्न उठते कई हैं मन में,
पर चुप रहती हूँ ।
लड़की जो हूँ !
चाँद तेरा भी था,
चाँद मेरा भी था,
चाँद मिला तुझको मगर,
हक़ तो उस पर मेरा भी था,
चुप खड़ी,
मैं देखती रही,
मेरा क्या?
तू भी चला,
मैं भी चली,
पाने मंज़िलें,
राह थी कठिन,
काँटों भरी,
मैं काँटे हटा,
राह बनाती रही,
तू आगे चला,
मैं रुक गयी,
मेरा क्या?
सपनों के पंख लगा,
उड़ने को मैं तैयार,
सपनों के पंख लगा,
उड़ने को तू तैयार,
दोनो उड़ें,
ये मुमकिन ना था,
उड़ना किसी एक को ही था,
तूने आसमाँ छुआ,
मैं शाख़ पर बैठी रही,
मेरा क्या?
प्रश्न उठते कई हैं मन में,
पर चुप रहती हूँ ।
लड़की जो हूँ !
जो है तेरा,
वो मेरा भी है,
ना मिला मुझे,
तो माँग लूँगी,
ना मिला तुझे,
तो बाँट लूँगी ।
हक़ का तेरा,
मैं तुझे दूँगी,
हक़ का मेरा,
ना लेने दूँगी,
ना छीनूँगी,
ना छीनने दूँगी,
लड़की जो हूँ !