गाहे-बगाहे मैं शब्दों से बातें करता हूँ, कुछ किस्से मैं सुनाता हूँ, कुछ वो सुनाते हैं, समय कुछ इसी तरह अच्छे से कट जाता है - संदीप गुप्ता SandySoil
लोग चलने के लिए नहीं बढ़ते आगे, लोग चलते हैं आगे बढ़ने के लिए। लोग चलने के लिए नहीं बढ़ते आगे, लोग चलते हैं आगे बढ़ने के लिए।
नदी 'बहती' कहती है मुझसे, पास तेरे मैं हूँ बह रही, आ, मुझे तू अपना बना। नदी 'बहती' कहती है मुझसे, पास तेरे मैं हूँ बह रही, आ, मुझे तू अपना बना।
तू भी चला, मैं भी चली, पाने मंज़िलें, राह थी कठिन, काँटों भरी, मैं काँटे हटा, राह... तू भी चला, मैं भी चली, पाने मंज़िलें, राह थी कठिन, काँटों भरी, म...
भूल जा फूलों के रंगों को, भूल जा सतरंगी पंखों को, लड़की, दो ही रंगों की होती, काली लड़की, ... भूल जा फूलों के रंगों को, भूल जा सतरंगी पंखों को, लड़की, दो ही रंगों की हो...
ताप चढ़ा, कहीं ताप गिरा, प्रकोप सूखे का, कहीं क़हर बाढ़ का। ताप चढ़ा, कहीं ताप गिरा, प्रकोप सूखे का, कहीं क़हर बाढ़ का।
ज़ोर लगाओ, दम लगाओ, रन बनाओ जीत के आओ टीम इंडिया ज़ोर लगाओ, दम लगाओ, रन बनाओ जीत के आओ टीम इंडिया
'मैं' को जीवन में रखना उतना ही, दाल में जितना, तुम्हें नमक है रखना 'मैं' को जीवन में रखना उतना ही, दाल में जितना, तुम्हें नमक है रखना
छोड़ के बस्ता, चलो पकड़ लें, कोई बस, या रेलगाड़ी। छोड़ के बस्ता, चलो पकड़ लें, कोई बस, या रेलगाड़ी।
तमाशबीनी का अधिकार भी, मिलना चाहिए वैसे। तमाशबीनी का अधिकार भी, मिलना चाहिए वैसे।
बच्चों के तो भाग खुले हैं, खिड़कियों पर क़ब्ज़ा जमाते, रेलगाड़ी को खेल गाड़ी बनाते, धमा-चौक... बच्चों के तो भाग खुले हैं, खिड़कियों पर क़ब्ज़ा जमाते, रेलगाड़ी को खेल गाड...