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Bhavna Thaker

Romance

5.0  

Bhavna Thaker

Romance

बाली से मोहब्बत

बाली से मोहब्बत

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ये क्या

कमरे में कौनसी खुश्बू बिखर गई

दुपट्टा जाड़ने पर

है तो सिगरेट की,

धुँआँ धुँधला भर गई..!


कहाँ माना कभी,

मेरी नापसंद ही

तुम्हारी पसंद जो ठहरी..


हाँ मुझे कहाँ पसंद

तुम्हारा सिगरेट पीना,

ये लो दुपट्टे में अटकी

मेरी कान की बाली मिल गई,


लोग कहते हैं

बाली मेरे कानों से

सज रही है,


तुम कहते थे

तुम्हारे कान की रौनक

बाली बढ़ा रही है,


मेरी बाली में तुम हमेशा

ढूँढते रहते थे

किस्मत अपनी..!


शिकस्त खाई ज़िंदगी की

नाइंसाफ़ियों से हर बार

अपने ज़िद्दी रवैये को पोषते..छोड़ो,


सारी निशानियाँ समेट रखी है

चले आओ

अहं की चिता को अग्नि दे देंगे,

पड़ी है तुम्हारी पी हुई अधजली सिगरेट..!


बाली पहन लूँ या

संभालकर रख लूँ संदूक में

जिसमें बसी किस्मत तुम्हारी ?

मैंने होंठों पर लगा ली अधजली सिगार

शायद खुल जाए किस्मत हमारी..!


ये दहलीज़ पर दस्तक है क्या तुम्हारी,

ओह बाली लेने आये हो ?

पहनने वाली की जगह भी

बताते जाइये..!


लीजिये आपकी किस्मत

उतार दी कानों से,

पर सुनिये सब कहते हैं

मेरे कदम शुभ है..!


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