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shivendra 'आकाश'

Romance

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shivendra 'आकाश'

Romance

प्रीत की डोर

प्रीत की डोर

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प्रीत की डोर कैसी है तुमसे हमें 

चाँद से रोशनी जैसे जा न सकें,


पलकें रात जगी है भीगी भीगी,

सांसो में आस जमी है धीमी धीमी।।


दिल में तुम हो और तुमसे ही मन लगा,

सिवा तुम्हारे ये दिल फिर कही न लगा,


तुम्हारे साथ जिये पलों को भुला न सकें,

मौत से पहले मौत को हम बुला न सकें,


हौसला है तू मेरा, जवानी है मेरी

मेरे इश्क़ की अधूरी कहानी है मेरी


रीत की बात कहते है कुछ लोग यहाँ,

शराबों में जैसे गम हम छुपा न सकें


प्रीत की डोर कैसी है तुमसे हमें 

चाँद से रोशनी जैसे जा न सकें,


      


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