प्रीत की डोर
प्रीत की डोर
प्रीत की डोर कैसी है तुमसे हमें
चाँद से रोशनी जैसे जा न सकें,
पलकें रात जगी है भीगी भीगी,
सांसो में आस जमी है धीमी धीमी।।
दिल में तुम हो और तुमसे ही मन लगा,
सिवा तुम्हारे ये दिल फिर कही न लगा,
तुम्हारे साथ जिये पलों को भुला न सकें,
मौत से पहले मौत को हम बुला न सकें,
हौसला है तू मेरा, जवानी है मेरी
मेरे इश्क़ की अधूरी कहानी है मेरी
रीत की बात कहते है कुछ लोग यहाँ,
शराबों में जैसे गम हम छुपा न सकें
प्रीत की डोर कैसी है तुमसे हमें
चाँद से रोशनी जैसे जा न सकें,

