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Bhavna Thaker

Romance

5.0  

Bhavna Thaker

Romance

सादगी

सादगी

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नैन नीर भर आया

शब्दों के ज़रिये

जब उसने मुझको छूआ..!


दिल में बड़ी ख़लिश थी इस बात पर

कि जिस पर दुनिया मरती है

वो फ़िदा क्यूँ है मुझ पर..!


कश्मकश भरी निगाहें

भाँप ली मेरी उसने

मैं इतना ही बोल पड़ी

क्या है इतना खास मुझमें...


सिर्फ़ आसानी से उपलब्ध हूँ,

क्या यही वजह है रहमो करम की

या है जगह कोई खास

अपनों में मेरी..!


झुका सर मेरा उठाकर

हौले से प्यार भरी नजाकत से

आँखों में मेरी आँखें ड़ाले

वो इतना ही बोले..!


आसानी से तो बहुत मिल जाती है

इस पाक अनमोल सादगी को

पाना मेरी खुशनशीब है,


इस सुंदरता की मिशाल से

मेरी कहाँ कोई तुलना,

तुम वो नगीना हो

जिसे हर कोई चाहे

ज़िंदगी में जड़ना..!


अब तक देखा है सिर्फ़ दुर्गा,

उमा, लक्ष्मी को तस्वीरों में

नहीं देखना अब तस्वीर

जब खड़ी हो तुम मेरे साक्षात..!


सम्मान में तुम्हारे नतमस्तक हूँ

लो मर मिटे हम तुम्हारी

अदब और लिहाज़ भरी अदाओं पर,

बस अब आगे और हमें

नहीं कुछ कहना...।।


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