खिलता है सौहार्द सुमन एकता विहंसति होती है। खिलता है सौहार्द सुमन एकता विहंसति होती है।
उसकी कविता मेरी बेटी के चेहरे पर खो जाती है। उसकी कविता मेरी बेटी के चेहरे पर खो जाती है।
मैं स्नेह मेरी वज़ह कविता मैं बालक मेरी क्रीड़ा कविता मैं स्नेह मेरी वज़ह कविता मैं बालक मेरी क्रीड़ा कविता
एक कहानी की तरह सफल हो जीवन एक कहानी की तरह सफल हो जीवन
चांदनी बिना जैसे चाँद अधूरा है वैसे नारी बिना हर जीव अधूरा है। चांदनी बिना जैसे चाँद अधूरा है वैसे नारी बिना हर जीव अधूरा है।
अब शब्द टूटने लगे हैं और वाक्य अपना अर्थ बदल रहे हैं अब शब्द टूटने लगे हैं और वाक्य अपना अर्थ बदल रहे हैं