नारी बिना
नारी बिना
खुश्बू बिना जैसे फूल अधूरा है
वैसे नारी बिना संसार अधूरा है
धरती बिना जैसे अंबर अधूरा है
वैसे नारी बिना पुरूष अधूरा है
बिना साँस जैसे जिस्म अधूरा है
वैसे नारी बिना जीवन अधूरा है
खुश्बू बिना जैसे फूल अधूरा है
वैसे नारी बिना संसार अधूरा है
नारी मां, बहिन, पत्नी और बेटी है
नारी बिना कोई भी घर अधूरा है
बाती बिना जैसे दीपक अधूरा है
वैसे नारी बिना हररिश्ता अधूरा है
शब्दों बिना जैसे वाक्य अधूरा है
वैसे नारी बिना जज्बात अधूरा है
हर रचना में नारी की महिमा है,
नारी बिना हर वेद-पुराण अधूरा है
नारी लक्ष्मी, नारी दुर्गा,
नारी काली, नारी सरस्वती रूप ज्ञान देने वाली
नारी महिषासुर का वध करने वाली
नारी जग का नवसृजन करनेवाली
खुश्बू बिना जैसे फूल अधूरा है
वैसे नारी बिना संसार अधूरा है
चांदनी बिना जैसे चाँद अधूरा है
वैसे नारी बिना हर जीव अधूरा है।