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Ram Chandar Azad

Abstract

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Ram Chandar Azad

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एकता के बोल

एकता के बोल

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कई फूल जब मिलते हैं तो

गुलदस्ते बन जाते हैं।

धागों में इक साथ जुड़े तो

वे माला बन जाते हैं।


बूँद बूँद के ही मिलने से

सागर व दरिया बनते हैं।

एक एक आने मिलकर के

सोलह आने तब बनते हैं।


ईंट ईंट जब मिले परस्पर

भवन तभी बन पाते है।

एक एक मजदूर मिले जब

काम सफल हो जाते हैं।


अक्षर मिलकर शब्द बनाते

शब्द वाक्य बनाते हैं

वाक्य परस्पर गले मिले तो

काव्य ,कथा बन जाते हैं।


एक एक घर के बसने से

नगर ,गाँव बस जाते हैं।

नगर, गाँव का मधुर मिलन ही

सुंदर राष्ट्र बनाते हैं।


धर्म, धर्म के मिलने से

मानवता विकसित होती है।

खिलता है सौहार्द सुमन

एकता विहंसति होती है।


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