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हेमंत "हेमू"

Abstract

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हेमंत "हेमू"

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मैं ही कविता और मैं ही कवि हूँ

मैं ही कविता और मैं ही कवि हूँ

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मैं ही कविता और मैं ही कवि हूँ

कविता मेरी और मैं कविता का हूँ


सृजन नहीं करता मैं कविता का

मैं जो हू बस वही लिखता हूँ

मैं स्वयं में एक अंतहीन कविता हूँ

मैं स्वयं को ही लिखता और पढ़ता हूँ


मैं कविता में हूँ

कविता मुझ में है

मेरी हंस कविता मे है

मैं हंसा कविता का हूँ

मैं ही कविता और मैं ही कवि हूँ

कविता मेंरी और मैं कविता का हूँ।

                                  

मैं सृष्टि मेरा कण-कण कविता

मैं प्रभात मेरी किरण कविता

मैं प्रकाश मेरा स्रोत कविता

मैं भूमि मेरी फसल कविता

मैं फसल मेरा अन्न कविता


मैं बरखा मेरी हर एक बूंद कविता

मैं जलधर मेरा जल कविता

मैं सागर नदिया है कविता

मुझसे कविता और मैं कविता से हूं

मैं ही कविता और मैं ही कवि हूँ

कविता मेंरी और मैं कविता का हूँ।

                                  

मैं माता मेरी ममता कविता

मैं ममता मेरा हृदय कविता

मैं पिता मेरा स्नेह कविता

मैं स्नेह मेरी वज़ह कविता

मैं बालक मेरी क्रीड़ा कविता


मैं क्रिड़ा मेरा मैंदान कविता

मैं वृद्ध मेरा अनुभव कविता

मैं अनुभव मेरे शब्द कविता

मैं शब्द मेरे वाक्य कविता

मैं वाक्य

पंक्तियां कविता

मुझसे कविता और मैं कविता से हूं

मैं ही कविता और मैं ही कवि हूँ

कविता मेंरी और मैं कविता का हूँ।


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