हेमंत "हेमू"
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यदि मान लो कुम्हार को ईश्वर,चाक को सृष्टि,तब तुम गीली मिट्टी,माँ — तुम पर ममता भरा स्पर्श है।पिता — वो ताप है,जिस पर कच्चा घड़ा तपकर पकता और मजबूत होता है,फिर जल को कर शीतल,प्यासे की प्यास बुझाता है।
विरला वीरवान
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