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हेमंत "हेमू"

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हेमंत "हेमू"

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माँ -पिता

माँ -पिता

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यदि मान लो कुम्हार को ईश्वर,
चाक को सृष्टि,
तब तुम गीली मिट्टी,
माँ — तुम पर ममता भरा स्पर्श है।

पिता — वो ताप है,
जिस पर कच्चा घड़ा तपकर पकता और मजबूत होता है,
फिर जल को कर शीतल,
प्यासे की प्यास बुझाता है।


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