नाख़ुदा और लहरें
नाख़ुदा और लहरें
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नाख़ुदा और उसकी कश्ती को डुबोने का,
लहरों को तकब्बुर था।
कोशिशें तमाम की लहरों ने,
मगर तकब्बुर अपना बचा न सकीं।
दरअस्ल लहरें फ़रामोश कर चुकी
थीं,कि आज कश्ती पर नाख़ुदा के साथ उसका मुस्तक़बिल था।
-हेमंत "हेमू "
