हेमंत "हेमू"
Others
कविता मे निहित कवित्व,
किसी के लिए बोध-सार किसी के लिए पित्त।
जो करे आत्मसात,
उसके जीवन मे चिंता चारो खाने चीत्त।।
-हेमंत "हेमू"
विरला वीरवान
"दरवाजे़- खिड...
कवित्व
कमबख़्त रोज़ ...
नाख़ुदा और लह...
आओ, आपस में ल...
यह वक़्त की न...
माँ -पिता
मैं भ्रम जी र...
पिता खामोश रह...