बरसात का हर्ष
बरसात का हर्ष
बदलाव मौसम का,
ठिठुर कर शीत बरसातें।
बौछार दानों की,
भरे क्षुधु पेट सौगातें।
मृत आस जीवित हो,
ठिठोली कर हॅंसी मछली।
जल जीव सब व्याकुल,
उटक मेंढक रहा असली।
नहरें बनी सहचर,
मृदुल सिंचित सहे घातें।
क्यों काग कोतूहल,
करे कानन कलेजा कम।
बोले बदा विधि बन,
बिछा बादल बजाकर बम।
पथराव कर अंबर,
गढ़े अनुराग की बातें।
कलरव हरे वन में,
भिगो जाता त्वरित वर्षण।
तरुवर भरे फल से,
कड़क बिजली विकल घर्षण।
विश्राम सूरज का,
चमकती चांदनी रातें।।
