ग़ज़ल (एक कोशिश )
ग़ज़ल (एक कोशिश )
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माना अधूरी ज़िन्दगी को अधूरी महसूस हो रही है।
है जिसकी पूरी उसे भी कमी क्यों महसूस हो रही है?
है समन्दर का साहिल से वादा ना बिछड़ने का।
साहिल को समन्दर की कमी क्यों महसूस हो रही है?
शौक, ऐश-ओ-आराम हर चीज़ है जन्नत में जब भरी।
बताओ ज़रा जन्नत को कमी किसकी महसूस हो रही है?
ये जो ज़िन्दगी का कारवां है, किस तरफ़ जा रहा?
क्यों आज हर महफ़िल को तन्हाई महसूस हो रही है?
"करिश्मा", तेरी चश्म-ए-तर में छुपा क्या राज़ है?
क्यों इन अश्कों में ख़ामोशी सी महसूस हो रही है?
