पहली और आख़िरी मुलाक़ात
पहली और आख़िरी मुलाक़ात
पता चला जब, हमें वापस अब जाना होगा,
क्या पता था ........
ख़ुदा को इतना बड़ा कहर हमपर ढाना होगा।
दिल में आँसू आँखों में तड़प, सबसे छुपाते हुए,
वापस अपने शहर को रुख कर जाना होगा।
दुबारा मिलने के वादों के लिए भी तरस जाना होगा,
क्या पता था .......
ख़ुदा को इतना बड़ा कहर हमपर ढाना होगा।।
पहले अपने दिल को मुझे भुलाना होगा,
एक तुझे भूलने के लिए,
तेरे साथ गुज़ारे हर एक पल को भुलाना होगा।
भूलना होगा मुझे वो पहली मुलाक़ात का दिन,
अगस्त की 27वीं तारीख बरसात का दिन,
पहर दोपहर, वो मोहब्बत का शहर,
पूरे दिन साथ, हाथों में हाथ पर,
रात होते ही ही अपने शहर की ओर
रुख कर जाना एक-दूजे के बिन।
कल जो गुज़रे, वो पल मुझे भूलने होंगे,
तुम्हारे हर एक कॉल मुझे भूलने होंगे।।
न जाने किन गुनाहों की सज़ा मिली,
एक मुलाक़ात के बदले....
हजारों-मीलों की दूरियां तोहफे में मिली।
पहले अपने दिल को मुझे भुलाना होगा,
एक तुझे भूलने के लिए,
तेरे साथ गुज़ारे हर एक पल को भुलाना होगा।
क्या पता था .......
ख़ुदा को इतना बड़ा कहर हमपर ढाना होगा।।
