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अद्वितीया 💚

Inspirational

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अद्वितीया 💚

Inspirational

गति ही जीवन है

गति ही जीवन है

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इस ढ़लती हुई शाम के साथ 

सबकुछ जैसे ढ़ल सा जाता है।

पंछी अपने घर को लौट आते हैं,

और सूर्य कहीं छिप जाता है।

कुछ पल के लिए सबकुछ 

थम सा जाता है।

रात गहरी होती जाती है,

अंधियारा छा जाता है।

इस अंधियारी रात को मिटाने 

चंदा तारों के साथ आता है।

अपनी धवल चाँदनी से 

इस जग को जगमगाता है।

तारें भी टिमटिमा कर 

अपनी मद्धिम सी रोशनी से 

इस अंधियारी रात को 

रोशन कर देते हैं।

इस खूबसूरत रात को निहारते 

न जाने ये इंसान कब सो जाता है।

मीठे-प्यारे सपनों में खो जाता है। 

फिर सूर्य अपनी उषा-किरण बिखेरे,

एक प्यारी सुबह ले आता है ।

ये इंसान जग जाता है।

फिर वही भागदौड़, शोर-शराबे,

हंगामे में खो जाता है।

ये क्रम अनवरत चलता ही 

रहता है, न कभी रुकता है।

इसके रुक जाने से, ये 

जीवन रुक जाता है।

क्योंकि गति ही जीवन है। 


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