ईश्वर
ईश्वर
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हे ईश्वर! मैं तुझे
ढूॅंढू यहॉं-वहॉं..
न जाने है तू कहॉं ?
तुझमें श्रद्धा तो बहुत है
फिर भी न जाने
तेरे अस्तित्व पर है संदेह।
इस पत्थर की प्रतिमा में
मंदिर, मस्जिद, देवालयों
में मन नहीं मानता है
कि तू बसा।
तू तो सबके मन में बसा
अंतर्मन की पुकार है
जो कुछ ग़लत करने से
हमें रोकती है...
फिर भी ये मन कहता...
तेरी खोज में निकलूॅं
दिन-रात भटकूॅं,
बस तुझे ही ढूॅंढू।
यकीं है कहीं न कहीं
तू मिलेगा एक दिन।
हे ईश्वर! न जाने तू है कहॉं ?
