खुश रहना और बांटना सबको ख़ुशी बस इतनी सी है पहचान मेरी ...
इस ढ़लती हुई शाम के साथ सबकुछ जैसे ढ़ल सा जाता है। इस ढ़लती हुई शाम के साथ सबकुछ जैसे ढ़ल सा जाता है।
हे ईश्वर! मैं तुझे ढूॅंढू यहॉं-वहॉं.. न जाने है तू कहॉं ? हे ईश्वर! मैं तुझे ढूॅंढू यहॉं-वहॉं.. न जाने है तू कहॉं ?
पहले सवाल से शुरू होकर दूसरे पे खत्म हो जाती है। पहले सवाल से शुरू होकर दूसरे पे खत्म हो जाती है।
साथ जीना सीखाती है जिंदगी। क्या नहीं करवाती है जिंदगी। साथ जीना सीखाती है जिंदगी। क्या नहीं करवाती है जिंदगी।