सवाल
सवाल
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मन में उमड़ते कई सवाल हैं।
पता नहीं कहाँ इनके जवाब हैं!
जितना इनको सुलझाओ और
उतनी उलझन बढ़ती जाती है।
पहले सवाल से शुरू होकर
दूसरे पे खत्म हो जाती है।
सुलझने को कोई एक
सुलझ भी जाए पर,
इनके आँकड़े तो बेहिसाब हैं।
न जाने ये कैसे सवाल हैं!
जिनका ना कोई जवाब है।
