क्या नहीं करवाती है जिंदगी
क्या नहीं करवाती है जिंदगी
बड़ी अजीब सी है न जिंदगी,
कभी हंसाती तो कभी रुलाती है।
अपने सपनों को पूरा करने
अपनों से ही दूर ले आती है।
क्या नहीं करवाती है जिंदगी।
कभी सबका साथ तो, कभी
यूँही अकेले छोड़ देती है।
अंदर कितना भी दर्द छिपा हो
चेहरे पर हँसी ले आती है जिंदगी।
कभी खामोशी में भी
बहुत कुछ कह देती है ,
और शोरगुल में भी
आवाज खो देती है जिंदगी।
कभी मंजिल के करीब लाती है
तो कभी लक्ष्य से भटकाती है।
हर दिन एक नई चुनौती के
साथ जीना सीखाती है जिंदगी।
क्या नहीं करवाती है जिंदगी।
