आजादी-के-तराने
आजादी-के-तराने
क्या सुनाऊँ दास्तान मैं
उन महान वीरों का
जिन्होनें देश की आजादी के खातिर
हँस कर चूमा फंदा फाँसी का ।
कितने जतन से हमनें पाई आजादी
जाने कितनी माँओं ने हँस कर
अपनी औलादें कुर्बान की ॥
गुनगुनाऊँ मैं आज भी
उनकें आजादी के तराने ।
उनके त्याग उनके बलिदान के
हम आज भी दीवाने ॥
कितने जतन से हमने पाई आजादी
जिसके लिए कितनों ने
अपने दिन -रात के चैन संग
अपनी हर अनमोल चीजें कुर्बान की ॥
शब्द ही नहीं हैं उनकी व्याख्या के लिए
जिसमें उनकी दास्तान समा पाऊँ ।
पुष्प भी नहीं है ऐसे जो,
उनके श्रद्धा सुमन में अर्पण कर पाऊँ ।
है बस हृदय से उनके लिए सच्ची भावना
जब तक रहें साँस मेरी
मेरा भारत महान संग
उन महान वीरों के भी गुणगान गाऊँ गुणगान गाऊँ ॥
जय हिन्द जय भारती
नित्य करूँ तेरी आरती ॥
