चरित्र की प्रधानता
चरित्र की प्रधानता
दौलत कमाने के खातिर
चरित्र को धूमिल मत करना
करना बड़ा नाम जीवन में
पवित्रता जीवित रखना
जीवन के किसी मोड़ पर
कभी ईमान डगमगाए तो
प्रभु भक्ति में ध्यान लगाना
गर मन विचलित हो जाए तो
शिक्षित होना तभी सफल है
जब पारदर्शी चरित्र होगा
सच्चाई हो बातों में, और
शालीनता का चित्र होगा
दुष्टता को न गले लगाना
निष्ठा से कर्म करते जाना
पथ भ्रमित कभी हो जाओ तो
सुविचार कर सुपथ पर चलते जाना
प्रतिष्ठित, प्रेरक व्यक्ति बनना
ज़िंदगी का सपना होता है
मगर सर्वप्रथम जीवन में
अच्छा इंसान बनना होता है
धन का वजूद रखने वाला
धनवान कहलाता है,
चरित्रहीन की होती है दुर्गति
चरित्रवान असीम सुख पाता है।