सुकून
सुकून
मेरे हिस्से के आसमान को सहेज लिया मैंने,
आगे बढ़ाया हाथ बहुत कुछ तलाश लिया !!
फूल में परिमल की तरह, सागर में सीप जैसे,
लगता तो है, मन के विश्वास को ढूंढ लिया !!
मेरे हिस्से के सम्मान को हां, समेट लिया,
रोशनी की एक किरण को तलाश लिया,
बादल के जल को भी शब्दो ने भिगो दिया,
स्वेत पन्नो को अक्षरों ने रंगीन कर ही दिया !!
मेरे हिस्से के प्यार और अधिकार पा लिया,
मन के अहसास नैनो के नीर को पा लिया,
देर से ही सही पर, अभिव्यक्ति को जी लिया,
नही कुछ भी इल्तिजा है बाकी, सब पा लिया !!