दोस्त और दोस्ती
दोस्त और दोस्ती
कृष्ण की दोस्ती तो, मीरा ने छोड़ सर्वस्व निभाया था ।
मित्र हेतु विष का प्याला, अमृत समझ पी डाला था ।
सुदामा की दोस्ती जगजाहिर है, कृष्ण ने 3 लोक वारे थे ।
गुरूमाता के दिये चबेने का, मानो कर्ज अदा किये थे ।
दुर्योधन ने दोस्ती में सूतपुत्र को अंगराज बना दिया था।
कर्ण ने मित्र हेतु ,रणोत्सर्ग हो दोस्ती हक अदा किया था।
ऐसे कितने उदाहरणों से भरा पड़ा निज स्वर्णिम इतिहास ।
कृष्ण ने कृष्णा के विपत पड़ने पर चीर बढ़ा मिटाया संताप ।
राम सुग्रीव ,महाराणा प्रताप चेतक की दोस्ती जाती है गाई ।
लक्ष्मण रामहित छोड़ अवधवैभव नींद व पत्नी गंवाई ।
दोस्ती, त्याग, समर्पण,निस्स्वार्थ सेवा, श्रद्धा मांगती है ।
वरना दोस्ती पल-पल गिरगिट सी रंग बदलती झांकती है।
