देश की माईसिंधु ताई
देश की माईसिंधु ताई
तुझे सब हैं पता मेरी माँ!
सीधी-साधी दयालु ममता
पूरे विश्व की है तू माई;
जगत जननी-माता..
हर जज्बा दिल में लिये
हर काम को किया पूरा!
अनाथ बच्चों की दाता बन
किया हैं..देश मे वो काम!
ममता दया और प्रेम की भावना!
होती हैं..ऐसी माँ की ममता!
कहाँ कहाँ नहीं दर्द को सहा;
हर एक दर्द को तूने
अपना ही दर्द कहाँ!
बेदर्द दुनिया में दीन दुखियों का
जहाँ कोई किसी का नहीं होता..
वहाँ एक सहारा बन किया
मासूम बच्चों का रहन-सहन
वो क्षमता सिर्फ तुझमे देखी थी;
वो आस्था तेरे ही दिल मे जगी!
अनाथ बच्चों की माँ बन.
किया अपना जीवन संपन्न
लिया पद्मश्री का सम्मान!
ना मन में घमंड ना ही कोई खंड़!.
किया उसने दुनिया को ...
अपनी सेवा करके सबको दंग !
भोली भाली भावना..नम्रता
बच्चों की है़..पेॖमल ममता!
सिंधू ताई उतकॄष्ट वक्ता!
हर लोगों केे दिलो और
घर घर में बस गयी सिंधू ताई!
तूझ जैसा बन न पायेगा
आज कोई और दूजा..
हमेशा याद आयेगा तेरी ही
ममता का एकहरा पल्ला!
माॕ तुझे है..मेरा दिल से सम्मान!
आज जग मे तू नहीं है पर;
तेरी ही ममता की छाव का नाम!
माई तुझे सदैव सलाम।
