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Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

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Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

मैं मात्र एक भीगन नही

मैं मात्र एक भीगन नही

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मैं मात्र एक भीगन नही

बरखा की फुहार नही

संयोग वियोग का प्रतीक हूँ

नीर मेरा नीरद का अंश

जो सदनीरा में परिवर्तित होती है

मेरी यात्रा के अनंत पड़ावों में

विभिन्न रूपों में बहती हूँ

मेरा हर दृश्य है एक अनभूति

मैं सर्वस्व रूप से समर्पित हूँ


है मुझमें माधकता बादलों जैसी

तो तीव्रता भी है आंधियों जैसी

जहाँ पर्वतों में गूंजती रहती है

मेरी कल-कल करती मीठी ध्वनि

तराईयों की हाहाकार में

सिसकियों का रूप लेती हूँ वहीं


मेरी मादकबरी उफान सी रफ्तार

गति को भी मात देती है

पर सब कुछ थाम देने वाला

मुझमें ठहराव भी कम नही है

खुद को मिटाने की मैं

एक असीम पीड़ा रखती हूं

पर स्वयं को समुद्र में समर्पित करके

गर्वाणभूति से सुसज्जित हूँ


इन सबसे ऊपर

मैं एक शरुआत हूँ

एक आरम्भ एक नवीनता

एक अद्भुत एहसास हूँ

मैं बारिश हूँ 

मात्र एक भीगन नही

मैं जीवन की परिभाषा का

जीता जागता स्वरूप हूँ.......



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