पेड़ का रंगीन तना
पेड़ का रंगीन तना
एक पेड़ बड़ी ऊंचाई से
अपनी जड़ें तलाश रहा था,
बीच के छोटे सतरंगी पत्ते
किसी भी दिशा में बढ़ चले थे ।
सिरा झुकने लगा था,
जड़ें छिपने लगी थीं ।
डालें टूटी, पत्ते बिखरे
एक उम्र हो चली थी ।
उस दिन सड़क किनारे
चलती इंसानी पैदाइश ने
उसे गैर जरूरी समझा,
कह रहे थे,
"कोई फंगस आया है ।"
जड़ें अब भी हैं,
पेड़ कट चुके हैं ।
किसी दिन नए चलन के
कुछ कलाकार आए,
कटे पेड़ों को इज़्ज़त बढ़ाए ।
रास्ता छापते रंगीन तने
जुहू के समानांतर दौड़ते हैं ।
यूँ तो वहाँ छाँव नहीं है,
लोग कला की तारीफ करते हैं
और शायद पेड़ भी,
अपनी सुन्दर समाधि के लिए ।