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अभिषेक योगी रौंसी

Action Inspirational Thriller

5.0  

अभिषेक योगी रौंसी

Action Inspirational Thriller

एक दौर

एक दौर

2 mins
577


आओ तुमको वीर शहीदों की गाथा बतलाता हूं

अरे आजादी के दीवानों की कुर्बानी दोहराता हूं


अंग्रेजों द्वारा मां-बहनों की अस्मत लूटी जाती थी

भारत के स्वर्णिम भविष्य की किस्मत लूटी जाती थी

देश भक्त वीर ताकत से मौन कराये जाते थे 

भगत सिंह बन जाये तो फांसी पे चढ़ाये जाते थे

देशभक्त सावरकर पर लांछन लगाए जाते थे 

आजाद घेरने खातिर गोरे जाल बिछाए जाते थे

अमर रहे आजाद गोरों को मिट्टी हाथ ना आने दी

खुद को गोली मारी पर मूँछों की ताव ना जाने दी

आओ तुमको वीर शहीदों की गाथा बतलाता हूं

अरे आजादी के दीवानों की कुर्बानी दोहराता हूं


अरे कहते हो तुम केवल चरखे से आजादी आई है 

फिर शेखर भगत सावरकर ने क्या मिथ्या जान गवाई है

अरे वतन की खातिर बन गई लक्ष्मीबाई मर्दानी थी

बच्चा तक कुर्बान कर दिया वो झांसी की रानी थी

वीर मिटाने खातिर यहाँ षड्यंत्र रचाया जाता था

भेद जानने खेमे में गद्दार बिठाया जाता था

कूटनीति छल करने गोरे हमसे हाथ मिलाते थे

फिर फूट डालो कि विद्या से आपस में लड़वाते थे

आओ तुमको वीर शहीदों की गाथा बतलाता हूं

अरे आजादी के दीवानों की कुर्बानी दोहराता हूं


चोर लुटेरे गोरे हमको भूखा नंगा कहते थे

भारत लूटने वाले खुद हमको भीखमंगा कहते थे

इंकलाब की जिस घर से आवाज उठाई जाती थी 

उस घर बूढ़े बच्चों तक की चिता जलाई जाती थी

मंदिर गुरूकुलों पे यहाँ प्रतिबंध लगाया जाता था

तिलक लगाने पर ब्लडी इंडियंस बुलाया जाता है

खानाबदोश रहते थे हम अपने देश में रहकर के

मर मर के जीते थे गोरों के कष्टों को सहकर के

आओ तुमको वीर शहीदों की गाथा बतलाता हूं

अरे आजादी के दीवानों की कुर्बानी दोहराता हूं


खेत कुएं जाती बहनों के मान को छेड़ा जाता था

बचाने आया कोई तो कोड़ों से उधेड़ा जाता था

बहन बेटियों की चीखें हलक से बाहर ना आती थी

धन्य है बेटी भारत की फांसी खाकर मर जाती थी

क्या-क्या अत्याचार लिखूं जो पुरखों ने झेले हैं

है उनकी ही कुर्बानी जो अब भारत में मेले हैं

कैसे लिखूँ दुर्भाग्य पूर्ण कितना भारत का मंजर था 

कुछ अपने ही गद्दारों से अपनों की पीठ में खंजर था

आओ तुमको वीर शहीदों की गाथा बतलाता हूं

अरे आजादी के दीवानों की कुर्बानी दोहराता हूं


भारत मां का जिस घर भी ध्वज लगाया जाता था 

उस घर का बच्चा-बच्चा दीवारों में चुनाया जाता था

वीर शहीद हो जाए तो यहां जश्न मनाया जाता था 

भारत मां के सीने पे गहरा जख्म लगाया जाता था

गोरे भारत भारत का सम्मान मिटाने आए थे

सोने की चिड़िया का स्वर्णिम इतिहास मिटाने आए थे

अज्ञान थे गोरे हिन्द धरा ये तो वीरों की भूमि है

इंसान है क्या ये मिट्टी तो खुद देवों तक ने चूमी है

कोटिशः नमन वीरों को गुलामी से निजात दिला गए

प्राणों की आहुति देकर के भारत आजाद करा गए

आओ तुमको वीर शहीदों की गाथा बतलाता हूं

अरे आजादी के दीवानों की कुर्बानी दोहराता हूं


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