भयानक कालरात्रि
भयानक कालरात्रि
बात बहुत प्राचीन है ..
नित सुनो तो लगे नवीन है !
अर्द्ध रात्रि ....को भयानक ...
तूफ़ान था ..बहुत भयंकर आया !
उजड़ गया था एक खिलते परिवार की,
बगिया का हंसता खेलता फूल...
मानो क्षण में ही मौत ने ...
उस परिवार को, दे दिए आजीवन के शूल...
तब उस घर के पास रहता था... एक तांत्रिक,
जो जानता था तंत्र मंत्र की विद्याओं का खेल ,
उसी क्षण बुलाया, और बताया कि घर के..
एक युवा पर पड़ गया है मृत्यु का साया !
क्या अभी कुछ हो सकता है ...कोई चमत्कार!
क्या लौट के आ सकते हैं उस युवा के प्राण ?
क्या हो सकता है इस परिवार का उद्धार ?
तब उस कालरात्रि को तांत्रिक ने मंत्र शक्ति..
से किया आह्वान उस युवा की आत्मा से ....
हे आत्मा तुम अभी आकाश में ही फिर रही हो
अभी तुम्हारे कर्म रह गए अधूरे ...
पुनः आओ इस धरा पर ...पुनः जीवन धारण करो
पुनः इस परिवार के सदस्य बनकर कर्म का आचरण करो
घण्टों तक चलता रहा ...मंत्र और मंत्रों का दौर ...
सभी स्तब्ध थे ...सभी अचंभित ..
क्या ऐसा हो पाएगा ?
मृत्यु के बाद भी कोई पुनः जीवित हो पाएगा...
तभी कुछ दो घंटो के बाद शरीर उस युवा का हिलने लगा !
ऐसा लगा सबको कि वह तो,
मानो सामान्य नींद से हो जगा !
परिवार में मानो खुशी की लहर छाने लगी !
तभी सब ढूँढने लगे ...उस तांत्रिक को ...
पर न वह फिर किसी को उस दिन के बाद दिखा !
पर वह परिवार उसके चमत्कार का हो गया ऋणी !