व्यथा व्यथा
अब जहाँ में तू क्यों शरमाए नारी शक्ति तू क्यों घबराए। अब जहाँ में तू क्यों शरमाए नारी शक्ति तू क्यों घबराए।
जो उगल न सके, निगल भी न सके वो फाँस है जिंदगी ।। जो उगल न सके, निगल भी न सके वो फाँस है जिंदगी ।।
एक गया गुज़रा मोड़ जिसका सारे रास्ते साथ चलना अंधेरों का टिमटिमाना जैसे मेरे नैनों में तेरा होना एक गया गुज़रा मोड़ जिसका सारे रास्ते साथ चलना अंधेरों का टिमटिमाना जैसे मेरे नै...