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समंदर सी खार

समंदर सी खार

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समंदर सी खार है जिंदगी ,

जाने क्यों उदास है जिंदगी ।

सूूूूखे नल, प्यासे अधरों की प्यास

है जिंदगी ।।


जिंंदगी की धूप काट ली हमनेंं

हंसी शाम के इंतजार में ।

जो उगल न सके,

निगल भी न सके वो फाँस है जिंदगी ।।




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