ऐसे नहीं चलता
ऐसे नहीं चलता


चंद रोज़ होती यहाँ बारिश रहमतों कि
कभी रहमतों का दौर उम्र भर नहीं चलता
इक समय का पहिया हैं जो ठहरता ही नहीं
इक हसरतों का चक्का जो फँसकर नहीं चलता
अखरता है कुछ रोज़ साँसों का रूक जाना भी
चलता रहना साँसों का जीवन भर नहीं चलता
कितनी बेबसी होती है चाहकर भी ना पाने में
निहारते बच्चे को जैसे खिलौना नहीं मिलता
मिलती है रहमतें हाथों कि करनीं करने से
माँग कर लेने से तो यहाँ हक नहीं मिलता
मजबूरियों का आलम कभी ऐसे आ बैठता है दीप
जवान बेटे पर हाथ जैसे बाप का नहीं चलता।