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भगत सिंह

भगत सिंह

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ये सपूत भारत माँ के

अकड़ किसी की नहीं सहते

सच्चे सूरमे पक्के देशभक्त

भगवान भरोसे नहीं रहते 


मंजर अपनों की मौत वाला

दौड़े आँखों में बन लाल लहु

फिर हथियार उठाना पड़ता है

तब होश ठिकाने नहीं रहते


तू शेर है भारत माता का

दुश्मन के घर घुस वार करे

जो पीठ के पीछे ना मारे

सीधा सीने पर ही प्रहार करे


देख सामने मौत खड़ी

जो क्षण भर भी ना घबराये

तब इंकलाब का नारा दे

भारत की जय जयकार करे


तू राज दिलों पर करता है

तेरा दुनिया में है नाम बड़ा

जो तेरा रुतबा बतलाएं

इन नोटों की औकात नहीं


‘दीप’ आजादी मुफ्त नहीं

बड़ा मोल चुकाना पड़ता है

खुली हवा में जीने को

हथियार उठाना पड़ता है !



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