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Pradeep Soni प्रदीप सोनी

Drama

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Pradeep Soni प्रदीप सोनी

Drama

यारी

यारी

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पीठ पे वार से ,

अपनो की मार से,

बेईज्ज़ती भरे बाजार से,

इंसान घुट-घुट मरता है।


लत शराब की भारी ने,

बढ़ती उम्र बीमारी ने,

ना मुराद बेरोजगारी ने,

कई बर्बाद कर दिये।


कंजूस के हाथ में,

दगाबाज के साथ में,

फिजूल की बात में,

कुछ नहीं मिलता।


एक तरफा प्यार से,

धोखेबाज यार से,

और बेगानी नार से,

बच के रहना चाहिए।


बापू की सरदारी में,

नौकरी सरकारी में,

और "दीप" की यारी में,

मजे ही और हैं।


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