आखिर तुम एक लड़की हो
आखिर तुम एक लड़की हो
आखिर तुम एक लड़की हो
तुम्हें आना चाहिए
खुद को लपेटना,
पांच मीटर कपड़े के अंदर
पैदा होते ही।
तुम्हें आना चाहिए
नजरें झुका कर चलना
घर से निकलते ही,
हर नुक्कड़ पर बैठी
तुम्हें घूरने वाली
आंखों से बचना भी
तुम्हारा ही कर्तव्य होना चाहिए।
तुम्हें होना चाहिए इतना सहनशील
कि अगर कोई तुम्हारे सम्मान को भी
चोट पहुंचाए,
तो भी उसके लिए तुम्हारे मुंह से
एक शब्द भी ना निकल पाए।
तुम्हें आना चाहिए सब का आदर करना
पर कोई तुम्हारी इज्जत करें,
यह सोचना भी तुम्हारा
अधिकार नहीं होना चाहिए
आखिर तुम
एक लड़की हो।
तुम मे नहीं होना चाहिए इतना साहस
कि तुम जा सको,
गली के नुक्कड़ तक भी
अपने भाई या पिता के बिना।
तुम में नहीं होना चाहिए
इतना स्वाभिमान,
कि तुम जिद कर सको स्कूल जाने की
अपने भाई की तरह।
तुम में नहीं होना चाहिए
इतना हौसला कि तुम
सपने देख सको कुछ कर गुजरने के,
तुम्हें आना चाहिए हुनर
खुद को चारदीवारी में कैद रखने का।
मेरी बच्ची तुम यह न सोचना
कि मैं तुम्हारे अरमानों को दबाना चाहती हूं,
मैं तो बस कुछ भेड़ियों की
नजरों से तुम्हें बचाना चाहती हूं,
आखिर तुम एक लड़की हो।