बंद मुट्ठियां
बंद मुट्ठियां


अस्पताल के प्रसव कक्ष में,
जब मेरी ,नव प्रफुल्लित सी नन्ही कली ने
पहली बार, अपने सुकोमल हाथों से,
थामी थी मेरी उंगलियां और अपने
नन्हे नन्हे पोरुओं को हथेली से मिलाकर
दिया था मुट्ठी का आकार।
आह ! वो स्पर्श,
ममत्व से भर उठी थी मैं
और तब, मैंने पहली बार जानना चाहा था
उन बंद मुट्ठीयों का राज
मुझे याद है आज भी
मैने मां से पूछा था एक सवाल कि
"क्या बंद मुट्ठी में भाग्य की लकीरें होती है ?"
और मां ने हंसकर कहा था कि
"जिनके हाथ नहीं होते, तकदीरें उनकी भी होती है"
अगला प्रश्न दागने से पहले ही
मां पढ़ चुकी थी मेरे चहरे के जज़्बात
और बैठी थी समझाने मुझे इत्मीनान से सारी बात।
नैनिहालो की मुट्ठी में बंद होता है एक विश्वास
की चाहे कैसे भी परिस्थितयों क्यों ना हो
इस नए संसार में कोई तो है हरदम मेरे साथ
इन बंद मुट्ठियों में कैद होते हैं
उनकी तकदीर के हिस्से।
इस मतलबी, स्वार्थी दुनिया के
कहे अनकहे किस्से
ये मुट्ठियां हमें एकता की शक्ति भी बताती हैं
कैसे सभी छोटे- बड़े का भेद
मिटाकर साथ रह सकते हैं
नन्हे मुन्नों की बंद मुट्ठी
बड़ी आसानी से ये सिखाती है।
इन बंद मुट्ठियों में ही स्वाभिमान पिंगे भरता है
इज्जत और आकांक्षाओं का बीेज भी
इन मुट्ठियों में ही पनपता है
ये बंद मुट्ठियां ही एक दिन
आसमानों को छूने के ख्वाब संजोती हैं
जीवन की हर एक याद को मोती सा माला में पिरोती हैं।
यह बंद मुट्ठियां सुनहरे भविष्य की निर्माता होती हैं
बड़ी देखरेख से इनको सांचों में ढालना तुम
बड़ी देखरेख से इनको सांचों में ढालना तुम
यह बंद मुट्ठियां गुलाब की पंखुड़ियों जैसी नाजुक होती हैं।
प्यार आदर और भाईचारे के पाठ भी
इन बंद मुट्ठियां से शुरू होते हैं
इन बंद मुट्ठी में तो साहब
इतिहास बदलने के जज्बे होते हैं।
इन बंद मुट्ठियों में पल रहे सपने के तुम पहरेदार हो
इन बंद मुट्ठियों में पल रहे सपने के तुम पहरेदार हो
इन सपनों को मुट्ठी से फिसलने ना देना साहब
इन सपनों को मुट्ठी से फिसलने ना देना साहब।
क्योंकि तुम ही देश के भविष्य के पालनहार हो
देखने में बेशक यह बंद मुट्ठी वाले बड़े पिद्दी होते हैं
देखने में, बेशक यह बंद मुट्ठी वाले बड़े पिद्दी होते हैं
यह तो दुनिया बदलने का हुनर जानते हैं
क्योंकि यह नन्हे-मुन्ने बड़े जिद्दी होते हैं
यह नन्हे-मुन्ने बड़े जिद्दी होते हैं।