एक बूंद की आस
एक बूंद की आस
मैंने इन प्यासे अधरों पर, अपने मन की प्यास रखी
और शेष जीवन में तुझसे, एक बूँद की आस रखी
कहीं नहीं ठहरा हूँ अब तक
पाँवों में छाले लेकर
आशा और निराशा में भी
नित बनते जाले लेकर।
कहाँ नहीं भटका हूँ अब तक, तेरी एक झलक पाने
छवि तुम्हारी रखकर दिल में , मैंने अपने पास रखी
मैंने प्यास बुझा लेने को
जब घट में कंकर डाले
घट रीता ही रहा हमेशा
पड़े बूँद तक के लाले।
जाने कितने जतन किये पर, हार गया चलते-चलते
प्यास हमेशा रही अधूरी,अब तक फिर भी स्वाँस रखी
कभी मिलोगी तो पूछूँगा
प्यास तुम्हारे बारे में
मैं तो प्यासा रहा हमेशा
जीवन भर गलियारे में।
एक तुम्हारा प्यार मिला होता तो, शिखरों पर होता
अब तक चाह बूँद की लेकर, मन में ले विश्वास रखी।