हर नार हुई मतवारी रे, हमें तो मीठी लगे, "शकुन" जी की गाली रे ! हर नार हुई मतवारी रे, हमें तो मीठी लगे, "शकुन" जी की गाली रे !
हरयाणे की नार, रूप का पाटा चाला। हरयाणे की नार, रूप का पाटा चाला।
घट से जन्मी, धरा में समाई। तुम सामान्य नार नहीं .......... घट से जन्मी, धरा में समाई। तुम सामान्य नार नहीं ..........
दोनों बाग़ों की मैं खुशबू, दोनों को महकाऊँगी दोनों बाग़ों की मैं खुशबू, दोनों को महकाऊँगी
व्यंग्य में शब्द बाण वे फेंके, पढ़ा लिखा अनपढ़ है मानव। व्यंग्य में शब्द बाण वे फेंके, पढ़ा लिखा अनपढ़ है मानव।
पृथ्वी भी एक नार है, उस पर कितना भार है। पृथ्वी भी एक नार है, उस पर कितना भार है।